मकर संक्रान्ति

मकर संक्रान्ति का पर्व पूरे भारत मेँ किसी न किसी रूप मेँ मनाया जाता है। पौष माह मेँ जब सूर्य मकर राशि पर आता है तब इस पर्व को मनाया जाता है। आधुनिक पंचाग के अनुसार यह पर्व 14 जनवरी को मनाया जाता है।

कथा या मान्यता

इस दिन सूर्य भगवान अपने पुत्र शनि से मिलने स्वयं उसके घर जाते हैं। चूँकि शनिदेव मकर राशि के स्वामी है अत: इस दिन को मकर संक्रान्ति के नाम से जाना जाता है।
एक मान्यता यह भी है कि इस दिन भगवान विष्णु ने सभी असुरोँ का नाश कर उनके सिरोँ को काटकर मंदार पर्वत के नीचे दबा दिया था।
मकर संक्रान्ति के दिन ही गंगाजी भागीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होकर सागर मे जा मिली थी।

क्रियाएँ

मकर संक्रान्ति के अवसर पर गंगास्नान एवं गंगातट पर दान को अत्यंत शुभकारक माना गया है। इस पर्व पर प्रयाग और गंगासागर मेँ स्नान को महास्नान की संज्ञा दी गई है। यह त्योहार हिन्दु लोगोँ के लिए बहुत ही शुभ दिन है। इस दिन लोग सुबह सूर्य निकलने से पूर्व ही स्नान करते हुए सूर्य देवता की पूजा करते है और गरीबोँ के लिए दान व भोजन का प्रबन्ध करते है।