नवरात्र

नवरात्र हिन्दुओँ का प्रमुख त्योहार है। यह त्योहार वर्ष मेँ दो बार बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इनमेँ एक नवरात्र तो चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से नवमी तक होते है और दूसरे आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तक होते हैँ। आश्विन मास के नवरात्रोँ को 'शारदीय नवरात्र' कहा जाता है क्योकि इस समय शरद् रितु होती है। नवरात्र मेँ देवी माँ के व्रत रखे जाते है और उनकी बड़ी श्रद्धा से पूजा व आराधना की जाती है। इन दिनोँ मे भारी मेला भी लगता है।

कथा (कारण)

नवरात्र को मनाये जाने के विषय मेँ कारण है कि लंका-युद्ध मेँ ब्रह्याजी द्धारा श्रीराम को रावण वध के लिए भगवती देवी चंडी का पूजन कर उन्हेँ प्रसन्न करने के लिए कहा गया था। उनके बताए अनुसार श्रीराम ने नौ दिनोँ तक भगवती की आराधना की थी और उनमेँ अपार शक्ति का संचार हुआ था। तब से प्रतिवर्ष नवरात्र मनाए जाते रहे है।
इस पर्व से जुड़ी एक अन्य कथा के अनुसार महिषासुर नामक राक्षस के आतंक को समाप्त करने के लिए सभी देवताओँ ने देवी दुर्गा की रचना की थी। ऐसा माना जाता है कि देवी दुर्गा के निर्माण मेँ सभी देवताओँ का एक समान बल लगाया गया था। नवरात्र के नौ दिनोँ तक देवी-महिषासुर संग्राम हुआ और अन्ततः देवी दुर्गा महिषासुर का वध करके महिषासुर मर्दिनी कहलायी।

क्रियाएं

आश्विन शुक्ल प्रतिपदा को प्रातः स्नानादि करके स्वयं या पण्डित के द्धारा मिट्टी की वेदी बनाकर जौ बोऐ जाते है तथा फिर घट स्थापित किया जाता है। इसके बाद घट के ऊपर कुलदेवी की प्रतिमा स्थापित कर उसका पूजन तथा 'दुर्गा सप्तशती' का पाठ कराया जाता है।
इसके अतिरिक्त नवरात्र मेँ अष्टमी व नवमी दोनो ही दिन कन्या-पूजन किया जाता है। पूजनोपरांत उन्हेँ भोजन कराकर उपहार आदि दिए जाने का विधान है।